सदर अस्पताल, जमुई की कुव्यवस्था ने – मंगलवार की रात एक विवाहिता को मौत की नींद सुला दी। रेफर किए जाने के बाद अस्पताल में ही एंबुलेंस के इंतजार में बिंदी देवी (18) पेट दर्द से साढ़े चार घंटे तक छटपटाती – रही। आखिरकार वह तड़पकर मर गई तो उसी 102 नंबर पर डायल करने पर महज 24 मिनट में शववाहन आ गया। कुव्यवस्था का आलम यह कि शववाहन तक पार्थिव शरीर को पहुंचाने के लिए अस्पताल में स्ट्रेचर नहीं मिला। इसके बाद पिता ने बेजान बेटी को गोद में उठाकर शव वाहन तक पहुंचाया।
मंगलबार शाम 7 बजकर 45 बजे सोनो प्रखंड के कोड़ाडीह गांव निवासी केदार मंडल अपनी पुत्री बिंदी को लेकर अस्पताल के आपातकालीन कक्ष में पहुंचे थे। बिंदी के पेट में तेज दर्द था। गंभीर स्थिति देखते हुए डाक्टर ने पटना मेडिकल कालेज अस्पताल (पीएमसीएच) रेफर कर दिया, लेकिन पटना ले जाने के लिए सरकारी एंबुलेंस नहीं मिला।
गरीब पिता पैसे के अभाव में निजी एंबुलेंस किराये पर नहीं ले सके। बिंदी की बिगड़ती हालत देख रात्रि ड्यूटी पर आए डा. अभिषेक गौरव ने भी एंबुलेंस उपलब्ध कराने की कोशिश की पर सफल नहीं हो सके। इधर, तड़पती बिंदी को ले जाने के लिए मौत आ गई। रात 12.30 बजे उसने अंतिम सांस ली। इसके बाद अस्पताल प्रशासन ने शव को घर भेजने की प्रक्रिया शुरू की। फिर 102 नंबर पर डायल किया गया और 12.54 बजे शव वाहन आ गया। बिंदी के पिता ने बताया कि पुत्री को पटना ले जाने के लिए कई बार 102 नंबर पर डायल किया, लेकिन एंबुलेंस खराब होने की बात कही जाती रही।