एमजीएम अस्पताल व एमजीएम मेडिकल कॉलेज प्रबंधन के सामने एक के बाद एक परेशानी सामने आ रही है. एक ओर जहा उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी की पहल पर एमजीएम अस्पताल के इमरजेंसी, ओपीडी, गंभीर मरीजों के लिए आईसीयू की समस्याओं का समाधान होता दिख रहा है वहीं दूसरी अन्य परेशानी बढ़ती जा रही है. अब नर्सों के क्वार्टरों जूनियर डॉक्टरों के हॉस्टल पर अवैध कब्जे की बात समाने आ रही है। सोमवार को न ेशनल एजुकेशन प्रोजेक्ट (एनईपी) डायरेक्टर संतोष गर्ग ने एमजीएम अस्पताल के अधीक्षक व डॉक्टरों के साथ बैठक की. बैठक मेंं यह बात सामने आयी कि नर्स क्वार्टरों साकची में जूनियर डॉक्टरों के हॉस्टल पर अवैध कब्जे हैं। यह बात सामने आयी है कि हॉस्टल मेें डॉक्टर व कर्मचारी रह रहे हैं जो न तो बिजली व न ही पानी का बिल भी देते हैं।
वे एक तो बिजली बिल जमा नहीं करते दूसरी ओर अपने-अपने कमरे में एयर कंडीशन के साथ अन्य सुविधाएं भी करा रखी है. जूनियर डॉक्टरों अवैध कब्जे को गंभीरता से लेते हुए तत्काल खाली कराने का आदेश दिया है. बैठक में मरीजों के बेहतर ईलाज को लेकर आईसीयू पर चर्चा की गई। सोमवार से ही आईसीयू शुरू करना था लेकिन डॉक्टरों व कर्मचारियों के रोस्टर तैयार नहीं होने के कारण शुरू नहीं किया जा सका। एनईपी डायरेक्टर ने अधीक्षक से जल्द आईयूसीयू शुरू कराने का आदेश दिया।
एमजीएम अस्पताल में दवाओं की भारी कमी है, जिससे मरीजों को बाहर से महंगी दवाइयां खरीदनी पड़ रही। फिलहाल इसके लिए टेंडर का काम पूरा कर लिया गया है। दवाओं के लिए एजेंसियों को आदेश भी दे दिया गया है। एमजीएम अस्पताल में दस दिनों के अंदर दवाओं की आपूर्ति शुरू कर दी जाएगी। कहां रहें इंटर्न व जूनियर छात्र एमजीएम मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए 100 से बढ़ा कर 150 सीटें कर दी गई है। इसके आधार पर नामांकन की भी प्रक्रिया पूरी हो गई है। लेकिन मामला यह है कि इंटर्न व जूनियर छात्रों के रहने वाले क्वार्टर पर अवैध कब्जा है वे ऐसे में कहां रहेंगे। एमजीएम मेडिकल कॉलेज प्रबंधन के लिए बड़ी चुनौती बन गई है।
