केबुल कंपनी को संचालित करने लिए एनसीएलटी की ओर से दिए गए आदेश के बाद वेदांता कंपनी ने अपना कामकाज बढ़ाया. अपनी नई सिक्यूरिटी एजेंसी एआईएस के कर्मचारियों को सुरक्षा के लिए नियुक्त कर दिया है, हालांकि अभी कंपनी को खुलने को लेकर विरोधाभास जारी है. एक ओर पुराना मामला नेशनल कंपनी लॉ अपीलिएट ट्रिब्यूनल अपीलिएट में लंबित है. वहीं 6 प्रतिशत राशि को लेकर केबुल बचाओ संघर्ष समिति नाराज हैं वे इस मामले को लेकर एनसीएलएटी में जाने और न्याय नहीं मिलने पर सुप्रीम कोर्ट जाने की घोषणा कर चुके हैं। एनसीएलटी ने 4 दिसम्बर, 2025 को वेदांता गु्रप को केबुल कंपनी को पुन: संचालित करने के आदेश दिया है। उन्होंने वेदांता के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कर्मचारियों को दी जाने वाली राशि को भी तय कर दिया है. एनसीएलटी के आदेश आने के बाद वेदांता ने केबुल कंपनी को संचालित करने के लिए अपनी गतिविधि बढ़ा दी है।
रिज्यूशनल प्रोफेशनल (आरपी) पंकज तिबरेवाल ने भी धीरे-धीरे कंपनी से अपनी गतिविधि हटानी शुरू कर दी थी. आरपी पंकज तिबरेवाल ने नियुक्त की गई सिक्यूरिटी एजेंसी को भी हटा दिया है।इसके बाद वेदांता ने केबुल कंपनी की सुरक्षा की जिम्मेदारी नई सिक्यूरिटी एजेंसी एआईएस को दे दी है। रविवार की शाम से ही सिक्यूरिटी एजेंसी के कर्मचारी सुरक्षा में जुट गए हैं. सोमवार को सुरक्षा कर्मचारियों की संख्या को बढ़ा करीब 40-45 कर दी गई है. वेदांता गु्रप ने बीआईएस को कंपनी को खोलने के लिए अपना आवेदन दे दिया है. फिलहाल जमशेदपुर के लोग असमंजस में हैं कि अप्रैल, 2000 से बंद पड़ी केबुल कंपनी फिर से शुरू होगी, क्या संघर्ष कर रहे कर्मचारियों को उनका हक मिल जाएगा. वहीं कर्मचारियों की ओर से इंकैब मामले को लेकर अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव व आकाश शर्मा पहले ही कह चुके हैं कि अभी मामला एनसीएलएटी में लंबित है जब तक इस मामले पर कोई फैसला नहीं आ जाता है तब तक इंकैब को खुलने का कोई औचित्य नहीं बनता है।
केबल बचाओ संघर्ष समिति से पूछा आखिर क्यों कर विरोध केबल बचाओ संघर्ष समिति के कोषाध्यक्ष कल्याण शाही ने जानकारी दी कि वेदांता गु्रप में काम करने वाले एक कर्मचारी कालोनी में रहते हैं। उनके साथ वेदांता ग्रुप का एक अधिकारी उनसे मिले थे. उनसे लीज मामले को लेकर जानकारी ली थी। इस दौरान उन्होंने वेदांता ग्रुप के अधिकारी को लीज की प्रक्रिया से अवगत कराते हुए कहा कि इसके लिए कंपनी को टिस्को से या फिर सरकार से लीज लेनी होगी. ऐसा नहीं करने पर कोर्ट से आदेश लाना होगा. वहीं अधिकारी ने उनसे पूछा कि आखिर कर्मचारियों का आदेश के बाद भी विरोध क्या हो रहा है।उनके सवाल पर कल्याण शाही ने कहा कि केबल कंपनी शुरू हो ये सभी कर्मचारी के साथ शहरवासी भी चाहते हैं, लेकिन उनकी क्लेम राशि को लेकर जो निर्णय लिया गया है वह अन्याय है। इस अधिकारी कहा कि ठीक है इस मामले पर उनकी समिति के पदाधिकारियों से बात करेंगे।
