झारखंड प्रदेश कामगार कांग्रेस के अध्यख व झारखंड गीग एंड प्लेटफॉर्म वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष शैलेश पांडेय ने कहा कि केन्द्र सरकार की ओर से लागू किए गए 4 नये श्रम कानूनों को केन्द्र सरकार के पूंजिपतियों के संरक्षण में कानून बनाया गया है. उन्होंने कहा कि मजदूर वर्ग पर यह गहरा प्रहार है, मोदी सरकार मजदूरों को छलने काम किया गया. विरोधों के बावजूद मोदी सरकार ने पूंजीपतियों के हित में मजदूर विरोधी कर श्रम संहिताओं को दबंगई के साथ लागू कर दिया।
उन्होंने कहा कि बिहार चुनाव में बम्पर जीत के साथ अतिउत्साहित केन्द्र सरकार ने लंबे संघर्षों से हासिल श्रम कानूनी अधिकारों को खत्म करते हुए मजदूर विरोधी चार श्रम संहिताओं को लागू करने की अधिसूचना जारी कर दी, जो मजदूरों के हक-अधिकार को बुरी तरह प्रभावित करेगी. उन्होंने कहा कि चार श्रम संहिताओं के मूल में है ‘हायर एंड फायर’ यानि मालिकों की मर्जी, जब चाहो काम पर रखो, जब चाहो निकाल दो. काम के घंटे मालिक की मनमर्जी होगी. अवकाश, कार्य के घंटों आदि की हेराफेरी की गई है. ठेका प्रथा कानूनी बन जाएगा। ट्रेनी के नाम पर फ्री के मजदूरों से काम करना वैध होगा. कर्मचारियों की छंटनी व बंदी आसान होगी. अब यूनियन बनाना, आंदोलन व समझौता करना असंभव होगा।
उन्होंने कहा कि इस कानून से श्रम न्यायालय खत्म होंगे और श्रम अधिकारी फैसिलिटेटर होंगे, जिनका काम सलाह देना होगा. असंगठित क्षेत्र के मजदूर और असुरक्षित होंगे. उन्होंने कहा कि आर्टिफिसियाल इंटीलीजेंस (एआई) द्वारा कार्य कराने का प्रचलन बढऩे से मजदूरों की संख्या और भी कम होती जाएगी. उन्होंनेी कहा कि नए कानून में ओला, उबर, जोमैटो, ब्लिनकिट आदि ऑनलाइन कम करने वाले गिग व प्लेटफॉर्म वर्कर कर्मकार की परिभाषा से भी बाहर होंगे, सामाजिक सुरक्षा की कोई गारंटी मजदूरों की नहीं रह जाएगी।
