राज्य में नदियों के जलस्तर में कमी तो आई है, लेकिन अब भी कई नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। कोसी-कमला शांत है तो बागमती और अधवारा समूह की नदियां उफना रही हैं। शिवहर में बागमती 45 सेमी, सीतामढ़ी में 77 सेमी व अधवारा समूह की नदियां खतरे के निशान से 80 सेमी तक ऊपर बह रही हैं। वहीं कोसी, बागमती, गंगा और बूढ़ी गंडक नदी तबाही मचाने के बाद अब शांत होने लगी हैं। हालांकि खगड़िया में ये नदियां अब भी खतरे के निशान से ऊपर हैं। खगड़िया, पूर्णिया, मधेपुरा, भागलपुर और किशनगंज जिले की कई पंचायतों में नदियां कटाव कर रही हैं। करीब एक लाख की आबादी अभी भी सड़क व बांध पर शरण लिए हैं।
सीतामढ़ी में अभी भी 53 हजार आबादी बांध, सड़क व रेलवे स्टेशनों, पर शरण लिए है। दरभंगा व शिवहर में 10 हजार आबादी बांध पर है, जबकि मुजफ्फरपुर में करीब पांच हजार लोग बांध पर हैं। दरभंगा में कुशेश्वरस्थान और किरतपुर में अभी भी लोग बांध पर शरणागत हैं। इधर, गंडक बराज से रविवार की शाम पांच बजे तक 82 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। सुपौल स्थित कोसी बराज पर 1.25 लाख क्यूसेक जलस्राव दर्ज किया गया।
हालांकि खगड़िया में अब भी कोसी खतरे के निशान से 1.02 मीटर, बागमती 1.77 मीटर, गंगा 0.49 मीटर और बूढ़ी गंडक 0.35 मीटर ऊपर बह रही है। कटिहार में भी गंगा खतरा के निशान से 0.66 मीटर, कोसी 0.48 मीटर ऊपर बह रही है। जिले के चार प्रखंड कुर्सेला, बरारी, अमदाबाद और मनिहारी में बाढ़ की स्थिति बनी हुई है। किशनगंज में कनकई और रतुआ नदियां क्रमशः दिघलबैंक और टेढ़ागाछ में कटाव कर रही हैं। दिघलबैंक की पत्थरघाटी पंचायत में बीते 10 दिनों में 10 घर कनकई में विलीन हो चुके हैं।