October 14, 2025
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बरेली के सिविल लाइंस स्थित बॉलीवुड अदाकारा दिशा पटानी के घर के बाहर कल देर रात कई गोलियां चलाई गईं। सुबह करीब साढ़े चार बजे हुए इस हमले की ज़िम्मेदारी कुख्यात आपराधिक संगठन गोल्डी बरार ग्रुप ने ली है। गनीमत रही कि इस घटना में कोई हताहत नहीं हुआ, हालाँकि दो राउंड हवाई फायरिंग भी हुई, लेकिन इसके पीछे के मकसद ने अधिकारियों और जनता के बीच गंभीर चिंताएँ पैदा कर दी हैं।

बताया जा रहा है कि यह गोलीबारी पूज्य हिंदू संतों, प्रेमानंद महाराज और अनिरुद्धाचार्य महाराज के कथित अपमान के जवाब में की गई है। घटना के तुरंत बाद हिंदी में लिखा एक सोशल मीडिया पोस्ट सामने आया, जिसमें ज़िम्मेदारी लेते हुए वीरेंद्र चरण और महेंद्र सरन नाम के दो लोगों का सीधे तौर पर नाम लिया गया। पोस्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया था कि गोलीबारी एक “ट्रेलर” थी और चेतावनी दी गई थी कि हिंदू देवी-देवताओं या संतों के प्रति किसी भी तरह का अनादर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से प्रसारित इस संदेश में पूरी फिल्म इंडस्ट्री को सीधी धमकी दी गई है, जिसमें कहा गया है, “यह संदेश सिर्फ़ उनके लिए नहीं, बल्कि फिल्म इंडस्ट्री के सभी कलाकारों और उनसे जुड़े लोगों के लिए भी है। भविष्य में जो भी हमारे धर्म और संतों के खिलाफ ऐसा अपमानजनक कृत्य करेगा, उसे परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए।” पुलिस इस पोस्ट की सत्यता की पुष्टि कर रही है और इस धमकी को बेहद गंभीरता से ले रही है।

कथित तौर पर यह विवाद दिशा पटानी की छोटी बहन खुशबू पटानी द्वारा बनाए गए एक वीडियो से उपजा है। यह वीडियो आध्यात्मिक गुरु अनिरुद्धाचार्य महाराज द्वारा महिलाओं और लिव-इन रिलेशनशिप के बारे में की गई टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया स्वरूप बनाया गया था। हालाँकि खुशबू ने बाद में स्पष्ट किया कि उनकी टिप्पणियों को संदर्भ से बाहर लिया गया था और उनका उद्देश्य प्रेमानंद महाराज नहीं थे, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि इस वीडियो के कारण गंभीर और हिंसक प्रतिक्रिया हुई है। उनके पिता जगदीश पटानी ने पुलिस में औपचारिक शिकायत दर्ज कराई है।

बरेली के पुलिस अधिकारियों ने पुष्टि की है कि मामले की जाँच चल रही है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) ने मामले की जाँच के लिए विशेष अभियान समूह (एसओजी) की इकाइयों सहित पाँच विशेष टीमों का गठन किया है। इनका मुख्य उद्देश्य गोलीबारी में शामिल लोगों की पहचान कर उन्हें गिरफ्तार करना और सोशल मीडिया पोस्ट तथा समूह द्वारा ज़िम्मेदारी के दावे की सत्यता की पुष्टि करना है।

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