
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर से टैरिफ की धमकी देकर वैश्विक व्यापार जगत में हलचल मचा दी है। ट्रंप ने घोषणा की है कि वह विभिन्न देशों पर 10 प्रतिशत से लेकर 70 प्रतिशत तक टैरिफ (आयात शुल्क) लगाने की योजना बना रहे हैं। जिन देशों के साथ अमेरिका की अभी तक कोई ट्रेड डील नहीं हुई है, उन्हें वॉशिंगटन की ओर से पत्र भेजे जा रहे हैं।
ट्रंप ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, “हमने शुक्रवार से 10 से 12 देशों को पत्र भेज दिए हैं और आने वाले दिनों में सभी कवर हो जाएंगे। 9 जुलाई तक टैरिफ पर लगी 90 दिन की रोक खत्म हो रही है। उसके बाद यह प्रक्रिया पूरी रफ्तार से आगे बढ़ेगी।”
उन्होंने बताया कि टैरिफ की दरें 10 फीसदी से शुरू होकर 70 फीसदी तक जा सकती हैं, हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि किन देशों पर कितना टैरिफ लगाया जाएगा या किन वस्तुओं को इस नीति में प्राथमिकता दी जाएगी।
व्हाइट हाउस में शुरू हुई तैयारीट्रंप के बयान के बाद व्हाइट हाउस और अमेरिकी प्रशासन ने टैरिफ नीति के क्रियान्वयन की तैयारी तेज कर दी है। 1 अगस्त से लागू होने वाले इन टैरिफ्स से अमेरिका को अरबों डॉलर की अतिरिक्त आय होने की उम्मीद है।
अमेरिका की किन देशों से हुई ट्रेड डील?अब तक अमेरिका ने चीन, यूनाइटेड किंगडम और वियतनाम के साथ व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। वियतनाम से हाल ही में हुई डील के तहत अमेरिका वियतनाम से सीधे आने वाले सामान पर 20 प्रतिशत और उसके जरिए गुजरने वाले माल पर 40 प्रतिशत टैरिफ लगाएगा।
भारत को मिल सकती है राहत?भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील अब अपने अंतिम चरण में पहुंच चुकी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, दोनों देशों के बीच एक मिनी ट्रेड डील की घोषणा अगले 48 घंटों में हो सकती है। भारतीय प्रतिनिधि पहले से ही वॉशिंगटन डीसी में मौजूद हैं और अंतिम दौर की वार्ता जारी है।
अगर यह डील सफलतापूर्वक पूरी हो जाती है, तो भारत को संभावित टैरिफ से राहत मिल सकती है और भारतीय निर्यातकों को अमेरिकी बाजार में स्थिरता मिल सकती है।
ट्रंप का पुराना टैरिफ एजेंडा फिर लौट आयाडोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति बनने के बाद से ही “अमेरिका फर्स्ट” नीति के तहत टैरिफ का आक्रामक उपयोग किया है। फरवरी 2025 से शुरू हुए टैरिफ संशोधनों को अप्रैल में लागू किया गया था, लेकिन बाद में इसे 90 दिनों के लिए स्थगित कर दिया गया। अब यह अवधि समाप्त होने को है, और ट्रंप एक बार फिर अपने पुराने एजेंडे पर लौटते नजर आ रहे हैं।