इस बार दीपावली और छठ पूजा में मंजूषा कलाकृति दिखाई देगी। मंजूषा से सजे सूपों में इस बार छठ पूजा हो होगी। मंजूषा सूप में उगते और डूबते सूर्य को भी दिखाया गया है। चंपानगर, बरारी, शाहकुंड आदि जगहों के कलाकारों के द्वारा सूप में मंजूषा पेंटिंग की जा रही है। इसके अलावा दीपावली को लेकर दीया व कैंडल में भी मंजूषा कला का नमूना दिखेगा। चंपानगर के मंजूषा कलाकार हेमंत कुमार ने बताया कि मंजूषा सूप की मांग बिहार-झारखंड के अलावा दिल्ली से भी है। कलाकार मंजूषा सूप को अंतिम रूप दे चुके हैं। एक-दो दिनों के अंदर यह सूप दिल्ली भेजा जाएगा।
इस बार 30 सूप दिल्ली जा रहा है। इसके अलावा बिहार व झारखंड की विभिन्न जगहों पर 500 सूप बनाया जा रहा है। यह सूप 150 से 200 रुपये में एक पीस बिकता है। कलाकार सूप में नीला, पीला, गुलाबी, नारंगी व हरा रंग से मंजूषा उकेर रहे हैं हे हैं। सूप में मुंजषा के माध्यम से नदी व पेड़-पौधों को भी दिखाया गया है। इसका उद्देश्य, प्रकृति को बचाने के लिए पौधरोपण का संदेश देना है। उन्होंने बताया कि पहले मंजूषा सूप की मांग कम थी। लेकिन मंजूषा को लेकर जैसे-जैसे लोग जागरूक हो रहे हैं वैसे-वैसे इसकी मांग बढ़ रही है। इसका फायदा स्थानीय कलाकारों को हो रहा है। मंजूषा कला अब किसी पहचान की मोहताज नहीं है। मंजूषा अंग प्रदेश की लोक कला है, जिसे जीआई टैग भी मिल चुका है।