किसी को भी प्रेरणा कभी भी कहीं से भी मिल सकती है. टाटा स्टील के कर्मचारी अंगद कुमार के लिए यह क्षण था नीरज चोपड़ा का २०२० में ओलंपिक में स्वर्ण पदक को जीतना, उस ऐतिहासिक जीत ने उनके भीतर खेलों के प्रति जुनून को जगाया, जिसके बारे में उन्हें पहले पता भी नहीं था. अंगद २०२४ में टाटा स्टील के वेस्ट बोकारो डिवीजन में शामिल हुए, जहां वे दिव्यांग कर्मचारियों के लिए अग्रणी पहल के रूप में शुरू किए गए पहले बैच के थे। वह टाटा स्टील सिक्योरिटी विभाग में सीसीटीवी ऑपरेटर के रूप में कार्यरत हैं।
इसी सहयोगात्मक माहौल में उनका खेल करियर वास्तव में निखरकर सामने आया. उन्होंने प्रशिक्षण और प्रोत्साहन पाकर २१वीं झारखंड राज्य पैरा एथलेटिक्स चैम्पियनशिप २०२५ में भाला फेंक व गोला फेंक में स्वर्ण पदक, चौथी राष्ट्रीय पैरा थ्रोबॉल चैंपियनशिप २०२५ में रजत पदक जीता। उसी वर्ष खेलो इंडिया पैरा गेम्स व राष्ट्रीय पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप, दोनों में गर्व के साथ भाग लिया। उन्होंने टाटा स्टील का आभार जताते हुए कहा कि टाटा स्टील ने मेरी यात्रा में अहम भूमिका निभायी है। कंपनी के सहयोग से ही वे खेलों के क्षेत्र में अपने सपनों को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ सके।
उन्हें विश्वास है कि निरंतर प्रयास से वे और भी बेहतर प्रदर्शन करेंगे जिससे टाटा स्टील, अपने परिवार व देश का नाम रोशन कर सके। उन्होंने अपने कोच राजीव सिंह, जो डिवीजन के स्पोट्र्स विभाग से हैं, के मार्गदर्शन और निरंतर समर्थन के लिए भी आभार व्यक्त किया. उनके पिता टाटा स्टील के पूर्व कर्मचारी हैं व उनके दोनों भाई वर्तमान में कार्यरत हैं। उनकी प्रेरणादायक यात्रा टाटा स्टील के उस मूल विश्वास को सशक्त रूप से दर्शाती है कि — यदि सही सहयोग और समावेशी वातावरण मिले, तो हर व्यक्ति, चाहे उनकी पृष्ठभूमि कुछ भी हो, ऊंचाइयों तक उड़ान भर सकता है व असाधारण उपलब्धियां हासिल कर सकता है।
