आखिरकार पाकिस्तान की हुकूमत को संविधान संशोधन विधेयक पारित कराने पर कामयाबी मिल गई। इसके लिए हुकूमत को समर्थन जुटाने के लिए करीब एक माह तक कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। नेशनल असेंबली ने करीब पांच घंटे की बहस के बाद आज तड़के विवादास्पद 26वें संविधान संशोधन विधेयक को पारित कर दिया। पाकिस्तान के प्रमुख समाचार पत्र डॉन की वेबसाइट पर उपलब्ध विवरण के अनुसार, 336 सदस्यों वाली नेशनल असेंबली में मतदान के दौरान 225 सदस्यों ने विधेयक का समर्थन किया। संशोधन पारित करने के लिए सरकार को 224 मत की जरूरत थी।
डॉन के अनुसार, 26वें संवैधानिक संशोधन विधेयक को संवैधानिक पैकेज के रूप में भी जाना जाता है। संसद के दोनों सदनों से अनुमोदन के बाद अब यह कानून बन गया। इस विधेयक को शुरुआत में सीनेट ने दो-तिहाई बहुमत के साथ हरी झंडी दी थी। इसे रविवार देररात 11ः36 बजे नेशनल असेंबली में कानूनमंत्री आजम नजीर तरार ने प्रस्तुत किया। इस पर रात को करीब पांच घंटे तक बहस हुई। अंततः यह सुबह पांच बजे पारित हो गया। हालांकि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) और सुन्नी-इत्तेहाद परिषद (एसआईसी) के 12 सदस्यों ने इसका विरोध किया।
जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-फजल के पांच सीनेटर और बलूचिस्तान नेशनल पार्टी-मेंगल (बीएनपी-एम) के दो सांसदों ने भी विधेयक के पक्ष में मतदान किया। विधेयक में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की नियुक्ति के लिए 12 सदस्यीय आयोग गठित करने का प्रस्ताव है। साथ ही मुल्क के प्रधान न्यायाधीश की नियुक्ति को तीन वर्ष के लिए सीमित करने का प्रावधान है।
एआईवाई न्यूज चैनल के अनुसार, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा है कि 26वें संवैधानिक संशोधन का पारित होना राष्ट्रीय एकजुटता और सर्वसम्मति का उत्कृष्ट प्रकटीकरण है। 26वें संविधान संशोधन के पारित होने के बाद आज नेशनल असेंबली में उन्होंने विश्वास जताया कि यह कानून आम आदमी के लिए आसान और त्वरित न्याय सुनिश्चित करेगा।
उन्होंने इसे एक बड़ा मील का पत्थर बताया। प्रधानमंत्री ने संवैधानिक संशोधन का समर्थन करने के लिए गठबंधन सहयोगियों और जेयूआई (एफ) का आभार जताया। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने 26वें संवैधानिक संशोधन की सहमति के लिए राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी को सलाह भेजी है।